नए जमाने का नया टैक्स | कार्बन बॉर्डर टैक्स के नाम से हम सबको एक नए टैक्स की पहचान होने लगी है | मिस्र में छह से 18 नवंबर २०२२ तक आयोजित संयुक्त राष्ट्र का 27वां सम्मेलन यानी कॉप-27 में जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के दौरान कार्बन बॉर्डर टैक्स की चर्चा शुरू हुई है| कुछ देशों ने कार्बन बॉर्डर टैक्स को लेकर आपत्ति जताई है | इस सूची में ब्राजील, भारत, दक्षिण अफ्रीका और चीन शामिल है |
कार्बन टैक्स क्या है?
कार्बन टैक्स ऐसा टैक्स है जिसे सरकार उस कंपनी पर लगाती है जो जीवाश्म ईंधन (पेट्रोल, डीज़ल, नैचरल गैस) का उपयोग करते हैं | जीवाश्म ईंधन द्वारा कार्बन उत्सर्जन से हवा प्रदूषित होती है | यदि किसी भी प्रकार का उत्पादन या उत्पाद बनाते समय, उस उत्पाद बनने वाली प्रक्रिया में जीवाश्म ईंधन का उपयोग प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष माध्यम से होता हो, तो ऐसे सभी उत्पाद तथा उत्पादनों पर कार्बन टैक्स लागू होगा |
कार्बन टैक्स का भारत पर असर
यदि लागू होता है, तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर कार्बन बॉर्डर टैक्स का सीधा असर पड़ने वाला है | देश के अंदर उत्पन्न होने वाले लगभग हर एक उत्पादनों के ऊपर यह टैक्स लागू होगा | इस नए टैक्स से भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे | परिणामस्वरूप भारतीय उत्पादन की मांग में गिरावट आएगी, या उत्पाद महंगे होने के कारण उसे व्यापार नहीं मिलेगा |
सबसे बड़ा खतरा
आज भारत जो भी उत्पाद निर्यात कर रहा है वह हर एक उत्पाद बाकी देशों की तुलना में कार्बन बॉर्डर टैक्स लगने की वजह से महंगा हो जाएगा | कृषि क्षेत्र में गहरा परिणाम होना स्वाभाविक है | सभी कृषि उत्पादन जो निर्यात हो रहे हैं, उन उत्पादों पर भी कार्बन बॉर्डर टैक्स का सीधा असर होगा | परिणामस्वरूप राष्ट्रीयस्तर पर कृषि उत्पादों की उपलब्धी, कीमतों में गिरावट, देश की आर्थिक स्तिथी में बदलाव आदि गंभीर मुद्दे उभर कर आएंगे |
भारत और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट
आज भारत देश और दुनिया के अधिकतर देशों में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हो रहा है | इस एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के अंदर उत्पन्न होने वाले उत्पादों के ऊपर कोई टैक्स नहीं लगेगा | यह बात खुशी की बात है किंतु एक टैक्स बंद होकर दूसरा टैक्स कार्बन बॉर्डर टैक्स के माध्यम से लगना शुरू होगा | आज देश के अंदर निर्माण किए जाने वाले उत्पादन में कोयला, पेट्रोल, डीजल यह बड़े मात्रा में कार्बन उत्सर्जन करते हैं | देश के अंदर हरित ऊर्जा की कमी है | हरित ऊर्जा पर्याप्त मात्रा में ना होने के कारण आने वाले समय में कार्बन बॉर्डर टैक्स हमारे सामने बहुत बड़ी समस्या लेकर आएगा |
भारत कार्बन बॉर्डर टैक्स से कैसे लड़ेगा?
भारत को अतिशीघ्र अपनी ऊर्जा स्रोतों को पूर्णता हरित बनाने के दृष्टि से कार्य करना चाहिए | ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए हर वो प्रयास करना चाहिए जिससे जलवायु परिवर्तन की समस्या को मूलतः नष्ट करें | युद्ध स्तर पर हरित ऊर्जा निर्माण और वितरण की व्यवस्था पूर्णतः नए माध्यम से करनी चाहिए | हरित ऊर्जा सभी उद्योगों को प्रमाणित कर देनी चाहिए |